रंगों का त्योहार होली



रंगों का त्योहार होली 6 मार्च को है। यह त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उल्लास लेकर आता है। इसलिए हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम इस त्योहार को सही तरीके से मनाएं न कि हुड़दंग से। त्योहार का महत्व तभी है जब उससे लोगों को जोड़ते हुए उसके महत्व को बरकरार रखा जाए। 1पानी की बचत करना आज समय की मांग है। हर साल हजारों लीटर पानी को जिले के लोग इस दिन व्यर्थ में बहा देते हैं। पानी को हमें बचाना होगा। लोग गुलाल व फूलों की होली पर जोर देकर इस अभियान में अपना सहयोग दे सकते हैं, ताकि व्यर्थ बहने वाले जल को रोका जा सके। इसके साथ ही केमिकल व अन्य खतरनाक रंगों के प्रयोग से भी लोगों को बचना चाहिए। कि हर साल होली के दिन जिले के लोग हजारों लीटर पानी को रंगों के साथ मिलाकर व्यर्थ में बहा देते हैं। धरती में पानी की मात्र सीमित है। इसलिए हमें पानी की बचत करनी चाहिए। इसके लिए अन्य विकल्प चुने जा सकते हैं। जो इससे काफी बेहतर भी हैं। पानी की बचत करना सबका कर्तव्य है। 1आंखों का करें बचाव केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए। इससे अनमोल पानी तो व्यर्थ बहता ही है साथ ही त्वचा भी खराब होने का डर बना रहता है। खतरनाक रंगों के प्रयोग से अनेक बीमारियां भी पनपती हैं। गुलाल को भी आंखों व बालों से बचाना चाहिए। अगर सिर्फ तिलक करके होली मनाई जाए तो उससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है। 1फूलों की होली भी विकल्प सेक्टर 8 पार्ट 2  निवासी सतेन्द्र कुमार  का कहना है कि होली को सही तरीके से मनाने के लिए फूलों की होली सबसे बेहतर विकल्प है। यह सुरक्षित होने के साथ ही सभ्य होने का प्रतीक भी है। इससे आपसी मनमुटाव होने की संभावना भी नहीं रहती है। हमें वृंदावन की तर्ज पर होली की पवित्रता को बरकरार रखते हुए फूलों से होली का त्योहार मनाना चाहिए। इससे रंगों के डर से होली न मनाने वाले लोग भी इस त्योहार से जुड़ सकेंगे। लोगों को केमिकल युक्त रंगों से परहेज कर इसे तरजीह देनी चाहिए। कि होली का त्योहार गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलने का त्योहार है। हमें इसे सभ्य तरीके से मनाना चाहिए। होली के दिन हमें मन की सारी कड़वाहट को मिटाकर नए जीवन की शुरुआत करनी चाहिए। इस त्योहार को बीमारी फैलाने वालों रंगों से खराब करने की बजाय हर्बल गुलाल और फूलों का प्रयोग करना चाहिए।